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Monday, June 17, 2013

भीगी जीव मेरी 

भीगते  भीगते
इस बारिश में
खोई हूँ मै
अपने आप ...!
तन भी भीगा
मन भी भीगा
भीगा है मेरि
अपनी सपना ...!
उस भीगी सप्नोको
अपनाते हुए
डूबगयी मै अपने आप ...!
तन भी डूबा
मन भी डूबा
डूबी नश्वर जीव मेरी ...!
बेबस है , मेरा  दिल
देखने फिर एक सपना
लेकिन कैसे ?
तड़प रही हूँ
अपने आप ...!

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